“खेती में नुकसान के प्रमुख कारण है”जो किसानों, उपभोक्ताओं और समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। खेती में नुकसान कई कारणों से हो सकता है,.जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं (सूखा,.बाढ़, ओलावृष्टि), कीट और रोगों का प्रकोप, मिट्टी की उर्वरता का कम होना, सिंचाई का अभाव, और बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव। इन कारणों से किसानों की आय कम होती है, खाद्य सुरक्षा को खतरा होता है,.और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।
खेती में नुकसान के प्रमुख कारण है:-
- प्राकृतिक आपदाएँ: (बाढ़, सूखा, तूफान)प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, सूखा और तूफान मानव जीवन और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डालती हैं। बाढ़ न केवल फसलों को नष्ट करती है,.बल्कि पानी जनित रोगों का कारण भी बनती है। सूखा कृषि उत्पादन को गंभीरता से प्रभावित करता है, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। वहीं,.तूफान तेज हवाओं और भारी बारिश के साथ भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ाते हैं,.जिससे( infrastructural) आधारभूत नुकसान होता है। इन आपदाओं के प्रति सतर्क रहना और उचित तैयारी करना अत्यंत आवश्यक है।
- कीट और रोग: :-फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले कीट और बीमारियाँ कृषि उत्पादन के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। कीट, जैसे टिड्डे, सफेद मक्खी और दीमक, फसलों को चट कर देते हैं, जिससे उपज में कमी आती है।.वहीं, फंगल और बैक्टीरियल रोग, जैसे ब्लाइट और पाउडरली मोल्ड, फसलों को संक्रमित कर सकते हैं,.जिससे उनके विकास में रुकावट आती है। इन समस्याओं के प्रभावी नियंत्रण के लिए सतत कृषि प्रथाओं, कीटनाशकों के सही उपयोग और रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट: अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है। मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट एक गंभीर समस्या है,.जो कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है। अत्यधिक उपयोग, जैसे कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अधिक प्रयोग,.मिट्टी की उर्वरता को कम कर सकता है।.इससे न केवल पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ता है, बल्कि मिट्टी की संरचना और जलधारण क्षमता भी प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप, फसलें कमजोर होती हैं और उनकी पैदावार में कमी आती है। इस समस्या का समाधान सतत कृषि प्रथाओं, जैविक उर्वरकों और फसल रोटेशन के माध्यम से किया जा सकता है,.जिससे मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाया जा सके।